गुमशुदा बच्चों और मानव तस्करी के शिकार बने लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में बायोमेट्रिक प्रणाली की अहम भूमिका हो सकती है। भारतीय पुलिस द्वारा बायोमेट्रिक प्रणाली का अधिकाधिक इस्तेमाल इस प्रकार के कार्य करने वाले गिरोहों का पर्दाफ़ाश तेजी से होगा। इस तकनीकी के उपयोग से मैनपावर भी कम लगेगी और साथ ही जाँच में लेटलतीफी की गुंजाइश नहीं रहेगी। बायोमेट्रिक के साथ साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग के क्षेत्र में भी केंद्र व राज्य सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। आमजन के डेटा कलेक्शन के कई तरीके है, जैसे झुग्गियों, गांव ढाणी में रहने वाले लोगों के लिए 500 रुपये तक का प्रोत्साहन रख कर डाटा कलेक्शन किया जा सकता है।सरकारी हॉस्पिटल, स्कूल, awc में प्रवेश के समय ही बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन से प्रवेश हो ताकि एक मजबूत डाटा बेस तैयार हो सके जिसे भविष्य में कभी भी बच्चों के हित में उपयोग में लिया जा सके।
व्यक्तियों की पहचान के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा बॉयोमेट्रिक्स प्रणाली का इस्तेमाल करना अनिवार्य कर देना चाहिए। कानून प्रवर्तन एजेंसियों में बॉयोमेट्रिक प्रणाली का इस्तेमाल कुछ नया शुरू करने जैसा नहीं है। एजेंसियाँ पहले इनका उपयोग करती आई है परन्तु पहले यह प्रौद्योगिकीय तौर पर वर्तमान दिनों की तरह उन्नत नहीं थी। विश्व में तकनीकी के उत्थान से बायोमेट्रिक अनुप्रयोगों को तीव्र, अधिक सुरक्षित और सटीक बनने में बहुत मदद मिली है। बायोमेट्रिक का इस्तेमाल आज की जटिल दुनिया में एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
बायोमेट्रिक प्रणाली के दूरदर्शी उपयोग को ध्यान में रखते हुए भावी परियोजनाओं में इनका जितना अधिक उपयोग किया जायेगा उतनी ही मात्रा में बच्चों की चोरी और मानव तस्करी रुकेगी। सटीक पहचान और सटीक सबूत बायोमेट्रिक प्रणाली को मज़बूत करने से मिलेंगे और आपराधिक गतिविधियों के लिए अकाट्य प्रमाण साबित होगी। बायोमेट्रिक प्रणाली की शुरुआत से कानून प्रवर्तन एजेंसियों की दक्षता बहुत अधिक बढ़ जाएगी। बायोमेट्रिक प्रणाली के अनिवार्य उपयोग से कानून प्रवर्तन एजेंसियां गुमशुदा बच्चों और ऐसे व्यक्तियों का भी पता लगा सकती हैं, जो मानव तस्करी का शिकार बने हैं। इसी तरह, अज्ञात पाए गए व्यक्तियों और अज्ञात शवों का भी गुमशुदा व्यक्तियों और अज्ञात व्यक्तियों के मौजूदा रिकॉर्ड के साथ बायोमेट्रिक प्रणाली का उपयोग करके मिलान किया जा सकता है। एक बड़ी जनसंख्या में, यह सटीक तौर पर मिलान करने और लोगों को उनके परिजनों के साथ फिर से मिलाने में मदद करने की एकमात्र प्रणाली है।
बायोमेट्रिक प्रणाली पहचान सिद्ध करने में मददगार साबित होगी और अपराध की जांच और अपराधियों का पता लगाने में मदद मिलेगी साथ ही लापता बच्चों और तस्करी का शिकार बने व्यक्तियों का आसानी से पता भी लगा सकेंगे।
वर्तमान में जांच अधिकारी मैन्युअल रूप से पुलिस थानों में बनाए गए फोटोग्राफों का मिलान करता है, जो पिछले मामलों में शामिल अपराधियों के एल्बम/डोजियर के रूप में जांच के तहत मामले में संदिग्धों/अभियुक्तों के साथ होते हैं। हालाँकि अभी भारत में बायोमेट्रिक प्रणाली के प्रचलन की शुरुआत तो हुई है परंतु जिस लेवल से शुरू होनी चाहिए उस लेवल से अभी भी शुरू नहीं हुई। इसीलिए इसके उपयोग को अनिवार्य कर दिया जाए तो जाँच अधिकारी को इसका उपयोग करना पड़ेगा जिसका बहुत बड़े स्तर पर फ़ायदा होगा। बच्चों के गुम होने का अनुपात कम होगा और मानव तस्करी पर रोक लगेगी। आखिरकार आज के बच्चे ही तो कल के भावी भारत के सक्षम नागरिक होंगे।
-बृजमोहन
(स्वतंत्र पत्रकार, समालोचक, चिंतक, समीक्षक)