Talks With BMR

सोचना ही नहीं, अब मानना पड़ेगा कि केवल लैंगिक प्राणी ही नहीं, मानव प्राणी है स्त्रियाँ

किसी घर के इकलौते कमाऊ पूत की मृत्यु के पश्चात उस घर की आर्थिक व्यवस्था को शून्य समझा जाता है। बच्चों और बूढ़े मां – बाप के पालन पोषण की पीड़ा का बखान सार्वजनिक स्थानों पर सद्भावना के साथ किया जाता है। कुछ सार्वजनिक कार्यक्रमों में उक्त परिवार की सहायता का बीड़ा उठाया जाता है। […]

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बाल अपराध और रोकथाम

बाल अपराध का अर्थ – वे कार्य जो बालकों के द्वारा नियम विरुद्ध किये गए हो। कई विद्वानों के अनुसार एक बालक को अपराधी तभी माना जब उसकी समाज विरोधी गतिविधियां इतनी गंभीर रूप धारण कर लेती है कि उनके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही करना आवश्यक हो जाता है।   बाल अपराध के अन्तर्गत हम कानून  के […]

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राजनीति में महिलाओं की उपस्थिति केवल संख्यात्मक प्रतिनिधित्व

राजनीति हमारे जीवन के सभी पक्षों-राजनीति, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा आदि पर निर्णय लेती है, इसलिए उन निर्णयों में यदि हमारे समाज की आधी आबादी-महिलाओं की भागीदारी न हो तो न यह महिलाओं के विकास के हित में है, न ही इन राजनीतिक सभा संगठनों के हित में और न ही संपूर्ण […]

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बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास में मोबाईल कितना बाधक है।

विकास और टैक्नोलॉजी के इस बदलते दौर में मोबाइल मानव जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। कोई भी इसे एक पल के लिए खुद से दूर नहीं करना चाहता। इसी का नतीजा है कि माता-पिता की देखा-देखी आज छोटे-छोटे बच्चे भी इसके आदी हो गए है। कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेज ने तो […]

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