सोचना ही नहीं, अब मानना पड़ेगा कि केवल लैंगिक प्राणी ही नहीं, मानव प्राणी है स्त्रियाँ
किसी घर के इकलौते कमाऊ पूत की मृत्यु के पश्चात उस घर की आर्थिक व्यवस्था को शून्य समझा जाता है। बच्चों और बूढ़े मां – बाप के पालन पोषण की पीड़ा का बखान सार्वजनिक स्थानों पर सद्भावना के साथ किया जाता है। कुछ सार्वजनिक कार्यक्रमों में उक्त परिवार की सहायता का बीड़ा उठाया जाता है। […]