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कहानियां तो वही हैं, बस किरदार बदल गए हैं...

महज एक वोट ने फिल्म को ऑस्कर की रेस से बाहर कर दिया!

आम सोच और क्रियेटिव सोच में बहुत फर्क होता है

सभी को लेनी चाहिए ये किताबें

बच्चें आराम से आरजेएस निकाल सकते है

ढोंगी एक्टर भी होते है...

इन किताबों से आज भी सीधे प्रश्न पूछे जाते हैं

ज़िंदगी मौका ज़रूर देती है, लगे रहना चाहिए

Interview call तो आया, लेकिन selection नहीं हुआ

सबसे ज़्यादा वेटेज ब्रिटिश लिटरेचर को दिया

पड़े-पड़े लोहा भी जंग खा जाता है।

कभी कभी discipline के साथ साथ motivation भी जरूरी होता है।

पीछे से बहुत कुछ सुनने को मिलता है।

मैं दिन-रात केवल पढ़ती थी

मुझे पता चल गया था कि सर टॉपिक और नहीं पूछेंगे
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